Navratri Kab Hai 2020: माता का आगमन घोड़े पर, क्यों है अशुभ संकेत



Navratri Kab Hai 2020: हर वर्ष नवरात्री (Navratri Kab Hai 2020का यह त्यौहार आता है। वर्ष में चार बार  नवरात्री आती है। जिसमे से दो गुप्त नवरात्री व एक चैत्र और शारदीय नवरात्री होती है। तो आइये  जानते है की इस बार Navratri Kab Hai व यह कोनसी नवरात्री है। और Navratri Kab शुरू होगी। 

जैसे की नवरात्री माँ दुर्गा की उपासन का पर्व है। अबकी बार यह नवरात्री शारदीय नवरात्री है। शारदीय नवरात्री पितृपक्ष के समाप्त होने के बाद आरम्भ हो जाती है। लेकिन इस बार मलमास लगने की वजह से नवरात्री देरी से शुरू हो रही है। इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होगी। नवरात्री के दिनों में माँ दुर्गा के  नौ स्वरूपों की  की आराधना की जाती है। 

नवरात्री देर से शुरू होने का कारण

दरसल नवरात्री देर से शुरू होने का कारण मलमास है। जो की 16 अक्टूबर तक  रहेगा। 16 अक्टूबर को मलमास खतम होने के बाद 17 अक्टूबर से शुरू नवरात्री शुरू हो जाएगी। मलमास में शुभ कार्य नहीं किये जाते है। इस मलमास की वजह से न सिर्फ नवरात्री में देरी होगी बल्कि दशहरा और दीपावली भी देरी से मनाए जाएंगे। 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी है। इसके बाद से विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्य किये जा सकते है।  आपको बता दे की इससे पहले भी  2001 में  नवरात्री देर से शुरू हुई थी। 

प्रतिदिन माँ दुर्गा के स्वरूप की आराधना 

17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना

18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा

20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा

21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा

22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा

23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा

24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा व   राम नवमी

25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा

किस वाहन पर होगा माता का आगमन

हर साल माता का आगमन अलग-अलग वाहनों पर  होता है। तो जानते है माता Navratri में Kab व किस वाहन पर सवार होकर आती है। 

  1. यदि नवरात्री सोमवार या रविवार से शुरू होती है तो माता का आगमन हाथी  पर होता है। 
  2. यदि नवरात्री  शनिवार  व मंगलवार को से शुरू होती है तो माता का आगमन घोड़े पर होता है। 
  3. यदि नवरात्री शुक्रवार के दिन  से शुरू होती है तो माता का आगमन डोली  में होता है। 
  4. यदि  नवरात्री बुधवार के दिन  से शुरू होती है तो माता का आगमन नाव  में होता है। 

अबकी बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर यानी शनिवार से शुरू हो रही है तो माता का आगमन घोड़े  पर होगा। पुराण के अनुसार जब माता घोड़े की सवारी करके आती है तब पड़ोसी से झगड़ा, आंधी-तूफान जैसी समस्या बने रहने की संभावना रहती है। माता का आगमन घोड़े पर होना कोई शुभ संकेत नहीं देता है। और माता की विदाई भी भैंस पर हो रही है। जिसे शुभ नहीं माना गया है। 

नवरात्रि का महत्व

माता की आराधना का यह श्रेष्ठ समय होता है। इन दिनों में माता के नो स्वरूपों की पूजा की जाती है। और माता अपने भक्तो को मनोकामनाएं पूर्ण करती है। यह पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है। 

पौराणिक कथा 

कथा के अनुसार महिषासुर नामक का एक राक्षस था। महिषासुर ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त भी था। महिषासुर ने अपने तप से  ब्रह्माजी को प्रसन्न कर यह वरदान प्राप्त किया की उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य मार न पाए। यह वरदान प्राप्त होने के बाद महिषासुर  तीनों लोको में आतंक माचने लगा। महिषासुर   के आतंक से परेशान होकर देवी देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। फिर  मां दुर्गा के हाथो महिषासुर का वध हुआ। 

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